घर जाना है घर जाना है प्रीतम के देस सिधाना है ॥ टेक ॥
प्रीतम तैनूं पास बुलावे तुं नित गलियों में भटकावे
बिरथा रैन चली सब जावे फिर पीछे पछताना है ॥ १
करके आई कौल करारा अब क्यों दिलसे ख्याल बिसारा
चलने का नहि शोच बिचारा कब तक करे बहाना है ॥ २
सब गुण हीनी बदन मलीनी बीत गई सब उमर नवीनी
हार सिंगार नही परवीनी आखिर को शरमाना है ॥ ३
चली गई सब संग सहेली तुं क्यों बैठी रही अकेली
ब्रम्‍हानंद सुनो अलबेली और न कहीं ठिकाना है ॥ ४