हरिभजरे उमरा बीत चली ॥ टेक ॥
दिनदिन घडि घडि पलपल जावे जैसे जल अंजली ॥
जिम सूरजरथ धावत नभ में छाया जाय ढली ॥
यह माया चंचल क्षण भंगुर जिम बादल बिजली ॥
ब्रम्‍हानंद भजन बिन हरिके भटकत नरक गली ॥