मन भाया है मन भाया है श्रीकृष्ण मेरे घर आया है ॥ टेक ॥
कोटि भानु शशि बदन उजारा तारागण मणिमुकुट सितारा
पीताम्बर बिजली चमकारा सुंदर रूप सुहाया है ॥ १
गगन महल में मुरली बजावे मधुर मधुर धुन राग सुनावे
तनमन की सब सुध बिसरावे परम प्रेमरस छाया है ॥ २
आप नचे सब लोक नचावे मिल सखियन संग रास रचावे
देख देख मेरो मन हरखावे रूप अनेक बनाया है ॥ ३
घटघट खेल करे गिरधारी अचरज सुंदर रचना भारी
ब्रम्‍हानंद परम सुखकारी सतगुरु दरस दिखाया है ॥ ४