मेरो मनरे भजले चरण मुरारी ॥ टेक ॥
दीनदयाल जगत प्रतिपालक रे भक्तन के हितकारी ।।
हरिको नाम जहाज जगतमें रे भवसागर जलतारी ॥
क्या माया में फिरत भुलायो रे सिरपर काल सवारी ॥
ब्रम्‍हानंद भजन बिन हरिके रे जन्म मरण भय भारी ॥