मेरो मनरे भजले रामहरे ॥ टेक ॥
यह नरजन्म बहुर नहि आवे कोटिन यतन करे ॥
सिरपर काल खडा निसवासर नेकन मूढ डरे ॥
दीपक लेकर करके मांहि काहे कूप पडे ॥
ब्रम्‍हानंद बिना हरिसुमरण भवदुख कबी न टरे ॥