मेरो मनरे क्यों न भजे हरिनाम ॥ टेक ॥
हरिको नाम सदा सुखदायक सफल करे सब काम ॥
काया कष्ट नही है तुझको लगत नही कछु दाम ।।
मानुष तन दुर्लभ जगमाँही बीतत जाय तमाम ॥
ब्रम्‍हानंद सुमर निसवासर मोक्ष धाम निष्काम ॥