मेरो प्रभुजी तुम बिन कौन सहाई ॥ टेक ॥
मातपिता सुत बांधव नारीजी स्वारथ हेत सगाई ॥
अंत समय कोई संग न जावेजी परबश जीव सिधाई ॥
धन जोबन दिनचार सहाराजी देखत ही चल जाई ॥
ब्रम्‍हानंद पडा भवसागरजी लीजिये मोहे बचाई ॥