नहि आते हो नहि आते हो क्यों अपना रूप छिपाते हो ॥ टेक ॥
कितवल ढूंडन जावां तैनूं मारग कौन बतावे मैनूं
दिलका हाल कहुं में कैनू क्यों मुझको भटकाते हो ॥ १
बिरहो बाण लगाया दिल में प्रेम फांस डारी मुझ गल में
बैठी याद करूं पलपल में सूरत नही दिखाते हो ॥ २
जिम जलबिन मछली हैरानी बिन दर्शन मैं फिरुं दीवानी
अब तो आकर मिलजा जानी क्यों देर लगाते हो ॥ ३
कैसी मन में धरी निठाई दिलसे मेरी याद भुलाई
ब्रम्‍हानंद सकल जग मांही दीनबंधु कहलाते हो ॥ ४