शिव भोला भंडारी साधो शिव भोला भंडारी रे ॥

भस्मासुर ने करी तपस्या वर दीना त्रिपुरारी रे
जिसके सिर पर हाथ लगावे भस्म होय तन सारी रे ॥ 1 ॥

शिव के सिर पर हाथ धारण की मन में दुष्ट बिचारी रे॥
भागे फिरत चहुँ दिशि शंकर दैत्य डर भारी रे ॥ 2 ॥

गिरिजा रूप धार हरि बोले बात असुर से प्यारी रे
जो तुं मुझको नाच दिखावे होवुं नार तुमारी रे ॥ 3 ॥

नाच करत अपने सिर कर धर भस्म भयो मति भारी रे
ब्रम्‍हानंद देत जोई मांगे शिवभक्तन हितकारी रे ॥ 4 ॥