सुनो सखी री अनहद नाद बजे ॥ टेक ॥
गगन महल में नौबत बाजे साज अनेक सजे ॥
घंटा शंख मृदंग बंसरी गर्जन मेघ गजे ॥
झिलमिल झिलमिल जोत उजाला सूरज चांद लजे ॥
ब्रम्‍हानंद मगन मन होवे भवभय दूर भजे ॥