उजियाला है उजियाला है भट भीतर पंथ निराला है ॥ टेक ॥
त्रिकुटी महल में ठाकुर द्वारा तिसके अंदर चमके तारा
चहुं दिश परम तेज बिस्तारा सुंदर रूप बिशाला है ॥ १
सात खंड का बना मकाना सूक्ष्म मारग दुष्कर जाना
गुरुकिरपा सें चढे सुजाना पीवे अमृत प्याला है ॥ २
सूरत हंसनी उडी अकाशा देखा अचरज सकल तमाशा
तीनों भुवन हुया परकाशा खुल गया निर्गुण ताला है ॥ ३
कर्मन का बंधन सब टूटा माया मोहभरा घट फूटा
ब्रम्‍हानंद सकल भय छूटा मिट गया सब भवजाला है ॥ ४