आदि रूप अनादि मूरति अजोनि पुरख अपार।।
सरब मान त्रिमान देव अभेव आदि उदार।।
सरब पालक सरब घालक सरब को पुनि काल ।।
जत्र तत्र बिराजही अवधूत रूप रिसाल ।।