जो मागहि ठाकुर अपुने ते सोई सोई देवै ।।
नानक दासु मुख ते जो बोलै ईहा ऊहा सचु होवै ।।
चतुर दिसा कीनो बलु अपना सिर ऊपरि करु धारिओ ।।
कृपा कटाख्य अवलोकनु कीनो दास का दूखु बिदारिओ ।।
हरि जन राखे गुर गोविन्द ।।
कंठि लाइ अवगुण सभि मेटे दइआल पुरख बखसंद ।। रहाउ ।।