मेरा मनु लागा है राम पिआरे।
दीन दइआलि करी प्रभि किरपा वसि कीने पंच दूतारे।। 1 ।। रहाउ ।।
भव खंडन दुख भंजन स्वामी भगति वछल निरंकारे।
कोटि पराध मिटे खिन भीतरि जाँ गुरमुखि नामु समारे ।। 1 ।।
तेरा थानु सुहावा रूपु सुहावा तेरे भगत सोहहि दरबारे।
सरब जीआ के दाते सुआमी करि किरपा लेहु उबारे ।। 2 ।।
तेरा वरनु न जापै रूपु न लखीऐ तेरी कुदरति कउनु बीचारे ।।
जलि थलि महीअलि रविआ स्रब ठाई अगम रूप गिरधारे ।। 3 ।।
कीरति करहि सगल जन तेरी तू अबिनासी पुरखु मुरारे ।।
जिउ भावै तिउ राखहु सुआमी जन नानक सरनि दुआरे ।। 4 ।।