मैं सतगुरु तेरे कोलों, मैं दाता तेरे कोलों,
इक नाम पदारथ मंगां।
मैं जोगन बन के तेरी, मैं दासी बन के तेरी,
कोई रंग निराला रंगां।

1. भव जल पया ठाठां मारे, दोवें ना दिसन किनारे,
तुध बाजों केड़ा तारे, मैं दाता अर्ज़ एह मंगां।

2. सुण तेरी अमृत बाणी, प्रभु दी मैं समझी कहाणी,
मेरे अंदर बाहर वसदा, की खेल कलेलां करदा।

3. तेरा प्रेम मेरे हृदय वस जाए, तेरी याद मेरे दिल विच धस जाए,
लूँ लूँ तेरा नाम उचारे, मैं हर वेले एह मंगां।