सांई बिन दरद करेजे होय । टेक दिन नहिं चैन रात नहिं निंदिया कासे कहूँ दुख...

समुझि बूझि के देखो गुइयाँ भीतर यह क्या बोले है । १ बलि बलि जाऊँ अपने...

समुझ मन कोई नहिं अपना । टेक प्राण नाथ जब निकरन लागै मुँह पर परे झपना...

समुझ देख मन मीत पियरवा आसिक होकर सोना क्या रे । टेक जिस नगरी में दया...

समय यह नीको बीतो जात । पल पल छिन छिन घड़ी पहर है दिवस साँझ परभात...

सब्द उपदेश मैं सबन को कहत हूँ समुझि कर आपना सुख लीजै । १ राग अरु...

सब्द चीन्ह मिलै सो ग्यानी । टेक गावत गीत बजावत ताली दुनिया फिरै भुलानी । खोटा...

सब दुनिया सयानी मैं बौरा हम बिगड़े बिगड़ो जिन औरा । टेक मैं नहिं बौरा तैं...

सतगुरु सोई दया करि दीन्हा पाते अनचीन्हा अनचीन्हा । टेक बिन पग चलना बिन पग उड़ना...

सकल तजि राम सुमर मेरे भाई । माटी का तन मिलि हैं पवन में पवन समानी...

विज्ञानी सुन सतगुरु की बानी । जेहि प्रताप हम भये विरागी त्यागि सकल कुलकानी । टेक...

विवेकी सन्त बसै जिस देश । टेक धनि वह गाँव ठाँव वह नगरी अघ न रहै...