सखीरी सुन बंसी बाज रही जलजमुना के तीर ॥ टेक ॥ चांद चांदनी रात मनोहर शीतल...

कैसी मधुर शाम आज बंसी बजाई तैने ब्रज ग्वालन की सबी होश भुलाई तैने ॥ टेक...