पढ़ि ले काजी बाँग निमाजा एक मसीद दसों दरवाजा । टेक मन करि मका क़िबला करि...

साधो यह मन है बड़ जालिम । जा को मन से काम परो है तिसही ह्वै...

साधो मन का धोखा भागा । बहुत दिनन से भरमत फिरिया सोया था अब जागा ।...

रे मन कर साहेब से प्रीत । टेक ऐसा समय बहुरि ना पैहो जैहें अवसर बीत...

या विधि मन को लगावै मन को लगावै प्रभु पावै । टेक जैसे नटवा चढ़त बांस...

दिवाने मन को है तेरा साथी । टेक जैसे बुंद ओस का मोती ऐसी काया जाती...

ऐसे हरि नहिं पाइये मन चंचल भाई। टेक  सुगा  पढ़ायो  रैन  दिन बोलै   टकसारा । ...

अवधू माया तजी न जाई । गृह तजके बिस्तर बाँधा बिस्तर तजके फेरी । टेक  काम...

समझ मन झूठा है संसार सुमर सदा हरिनाम ॥ टेक ॥ क्षण भंगुर स्वप्ने की माया...

मानले कहना मेरा मन की लालच छोड दे ॥ टेक ॥ चारदिन की जिंदगी आखिर यहां...