तजो अब नींद रे मुसाफिर करो तयारी रे ॥ टेक ॥ इस नगरी के नौ दरवाजे...

मत सोना मुसाफिर नींद भरी ॥ टेक ॥ तुम परदेसी भूल पडे हो चोरन की नगरी...

मुसाफिर क्या सोवे अब जाग॥ टेक ॥ इन बिरछन की नहि छाया देख भुलाया बाग़ ॥...