राम मिलण के काज सखी मेरे आरति उर में जागी री। तड़पततड़पत कल न परत है...

सखी मेरी नींद नसानी हो। पिवको पंथ निहारत सिगरी रैण बिहानी हो। सखियन मिलकर सीख दई...

सुहावे सखी मोहनकी मोहे बेन ॥ टेक ॥ जमुनातट पर बन कुंजन में शाम चरावे धेन...

मिलादो सखी शामसुंदर मोहे आज ॥ टेक ॥ रातदिवस मोहे चैन न आवे भूल गये सब...

अब तो सुमर नर रामचरण को जन्म मरण दुःख दूर करण को ॥ टेक ॥ चौरासी...

अब तो सुनो प्रभु अरज हमरिया शरण पडा मैं आय तुमरिया ॥ टेक ॥ सकल जगत...

हरि का भजन करले मेरी मतिया भजन बिना मिले री शुभ गतिया ॥ टेक ॥ क्या...

सुनो सुनो सखी ज्ञान बिचारना रे भवसागर से पार उतारणा रे ॥ टेक ॥ पांच तत्व...

आवो आवो सखि बात बिचारिये रे इस मनुषजनम को सुधारिये रे ॥ टेक ॥ जिम अंजलि...