आयो बसंत सखीरी मिल खेलिये होरी ॥ टेक ॥ परके भूल गई गृह काजन मन में...

शाम के संग खेलो होरी जन्म सफल कर लो री सखी मिल आज चलो री ॥...

हरिजी तुम भक्तन के रखवारे ॥ टेक ॥ हिरणकशप ने चाबुक मारा प्रह्लाद भक्त ने नाम...

प्रभुजी मेरा तुमबिन कौन सहाई ॥ टेक ॥ मातपिता बांधव सुत नारी जग में सब स्वारथ...

प्रभुजी तेरी किसबिध करूं मैं बडाई ॥ टेक ॥ ब्रम्हा निशदिन वेद उचारे शंभु ध्यान समाधी...

तजो अब नींद रे मुसाफिर करो तयारी रे ॥ टेक ॥ इस नगरी के नौ दरवाजे...

सुनो जगदीश प्रभु अरज हमारी ॥ टेक ॥ मानुष जन्म मिला जग माही किरपा भई तुमारी...

जपो हरिनाम बन्दे उमर बिहानी रे ॥ टेक ॥ बालपणो सब खेल गमायो तिरिया मोह जुवानी...

जगत में जीवन है दिन चार सुकृतकर हरिनाम सुमर ले मानुष जन्म सुधार ॥ टेक ॥...

जगत में रामनाम है सार सोच समझ नर देख पियारे नश्वर सब संसार ॥ टेक ॥...

जगत में स्वारथ का व्यवहार बिन स्वारथ कोई बात न पूछे देखा खूब बिचार ॥ टेक...

सुमर नर रामनाम सुखधाम जनम मरण के बंधन छूटें पूर्ण हों सब काम ॥ टेक ॥...