दीन के दयाल प्रतिपाल सन जगत के परम कृपालु हरि हरो भवबंध को ॥ १ शंख...

प्रेमनगर मत जाना मुसाफिर ॥ टेक ॥ प्रेमनगर का पंथ कठिन है ऊंचे शिखर ठिकाना मुसाफिर...

पनिया भरण कैसे जावुं सुन प्यारी आली आज बनमाली मोरी रोकत डगरिया ॥ १ जमुना तट...

सांवरी सूरत तेरी मोहनी मूरत हरि कमल नयन शशि वदन सुधावनी ॥ १ कनकमुकुट भाल सोहे...

जागरे मुसाफिर प्यारे रैन गई सारिया ॥ टेक ॥ संगके सहाई तेरे कर गये कूच डेरे...

काहे दूर जावे बंदे सांई तेरे पास में ॥ टेक ॥ जिमी असमान माही उसका मुकाम...

जिंदगी सुधार बंदे येही तेरो काम है ॥ टेक ॥ मानुष की देह पाई हरिसे न...

मैं तो तेरा दास प्रभुजी मुझे न बिसारणा ॥ टेक ॥ जपतप दान नाही तीरथ स्नान...

कृष्ण ने कैसी होरी मचाई अचरज लखियो न जाई असत सतकर दिखलाई ।। टेक ॥ एक...

मैं तो गुरु अपनेसे होरी खेलुं मन धार री ॥ टेक ॥ प्रेमभाव का रंग बनावु...

होरी कुञ्ज गलिन में खेलत नंद कुमार री ॥ टेक ॥ मोरमुकुट सिर ऊपर सोहे गल...

देख सखी जगदीश्वरी कैसी होरी रचाई ॥ टेक ॥ पृथिवी रंगभूमि सुखदायक गगन कनात लगाई वृक्ष...