पिला दे प्रेम का प्याला प्रभु दरशन की प्यासी हूँ। छोड़ के भोग दुनिया के योग...

पिया मिलन के काज आज जोगन बन जाऊँगी। हार श्रृंगार छोड़ के सारे अंग विभूति रमाऊँगी...

प्रभु क्यों देर लगाते हो। जीवन की हर सांस तुम्हीं से आस तुम्हीं से प्यास तुम्हीं...

जीवन मौत का खेल है बन्दे क्या रोना क्या धोना। जितनी चाबी भरी राम ने उतना...

चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे। चेत अचेत नर सोच बावरे बहुत नींद मत सोवे...