दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी ओ जी अन्तरजामी ओ राम खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी आप...

अब तो निभायां सरेगी बाँह गहे की लाज। समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज।। भवसागर...

दूर नगरी बड़ी दूर नगरीनगरी कैसे मैं तेरी गोकुल नगरी रात को कान्हा डर माही लागे...

आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको।। घरघर तुलसी ठाकुर सेवा दरसन गोविन्द जी को।। निरमल नीर बहत...

राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी म्हे तो गोविन्दरा गुण गास्याँ हे माय।। राणोजी रूठे तो...

सहेलियाँ साजन घर आया हो। बहोत दिनां की जोवती बिरहिण पिव पाया हो।। रतन करूँ नेवछावरी...

होरी खेलत हैं गिरधारी। मुरली चंग बजत डफ न्यारो। संग जुबती ब्रजनारी।। चंदन केसर छिड़कत मोहन...

पपैया रे पिवकी बाणि न बोल। सुणि पावेली बिरहणी रे थारी रालेली पांख मरोड़।। चांच कटाऊँ...

हे मेरो मनमोहना आयो नहीं सखी री। कैं कहुँ काज किया संतन का। कैं कहुँ गैल...

स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान।। स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान। सबमें महिमा...

सुण लीजो बिनती मोरी मैं शरण गही प्रभु तेरी। तुमतो पतित अनेक उधारे भव सागर से...

मन रे परसि हरि के चरण। सुभग सीतल कंवल कोमलत्रिविध ज्वाला हरण। जिण चरण प्रहलाद परसे...