अमीरस भंवरा चाख लिया ॥ टेक  जाके घट में प्रेम प्रकाशा सो बिरहिन क्यों बारु दिया...

अमरपुर ले चलु  हो सजना ॥ टेक  अमरपुरी की साँकर गलियां गड़बड़ है चलना ।  ठोकर...

अब मैं भूला  रे भाई मेरे सतगुरु जुगत लखाई ।। रिया कर्म आचार मैं छाँड़ा छाँड़ा...

अब मैं भूला रे भाई मेरे सतगुरु जुगत लखाई॥  क्रिया कर्म आचार मैं छाँड़ा छाँड़ा तीर्थ...

अब मैं आनंद का घर पायो॥  जब से दया भई सतगुरु की अभय निशान बजायो॥  काम...

अब नर चेतो देहियाँ बुढ़ानी॥  चेतत चेतत उमर बीत गई पंथी चकित भये रहिया भुलानी॥ हड़वा...

अब तो अमर पद पाया है॥  दुःख न दर्द काल नहि व्यापे आनंद मंगल गाया है॥ ...

अब कोई खेतिया मन लावै॥ ज्ञान कुदार ले बंजर गोड़े नाम को बीज बोवावे॥   सुरत...

अब का डरौं डर डरहिं समाना। जब तैं मोरतोर पहिचाना॥  जब लग मोर तोर करि लीन्हा।...

अपने साहेब से मिल रहिये॥  जो काहू की भली न आवै बुरी काहे को कहिये।  जो...

अपने घट में दियना बारु रे॥  घट के भीतर बहुत अंधेरा ब्रह्म अग्नि उजियारु रे।  जगमग...

अंध रे अंध संसार सब धुंध है काल के फंद की खबर नाहीं।  करत उन्माद विष...