दुनिया दो दिन का है मेला जिसको समझ पड़े अलबेला। जैसी करनी वैसी भरनी गुरु हो...

दरस दीवाना बावला अलमस्त फकीरा। एक अकेला होए रहा अस मत का धीरा। हिरदे में महबूब...

तेरी गति किनहुँ न जानी हो ब्रह्मा सेस महेसुर थाके चारो बानी हो। वाद करते सब...

जा दिन मन पंछी उड़ि जैहैं। ता दिन तेरे तन तरुवर के सबै पात झरि जैहैं।...

चलना है दूर मुसाफिर काहे सोवे रे। चेत अचेत नर सोच बावरे बहुत नींद मत सोवे...

घूंघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे। घटघट रमता राम रमैया कटुक बचन मत बोल...

काया नहीं तेरी नहीं तेरी मत कर मेरीमेरी। ये तो दो दिन की जिन्दगानी जैसा पत्थर...

कुछ लेना न देना मगन रहना। पाँच तत्व का बना पिंजड़ा जांमै बोले मेरी मैना। गहरी...

कैसा नाता रे जग में कैसा नाता रे। मन फूला फूला फिरे न जगत में कैसा...

कोई जानेगा जाननहारा साधो हरि बिन जग अंधियारा। या घट भीतर सोना चांदी यही में लगा...

अंधियारे दीपकु चहीऐ।। इक बसतु अगोचर लहीऐ।। बसतु अगोचर पाई।। घटि दीपकु रहिआ समाई। किआ पढ़ीऐ...

आवै न जावै मरे नहीं जन्मे सोई निज पीव हमारा हो। न प्रथम जननी ने जन्मों...