संतो सदगुरु अलख लखाया। परम प्रकाशक ज्ञान पुंज घट भीतर में दरशाया।। मन बुद्धि बानी जाहि...

संतो सो सदगुरु मोहि भावै जो आवागमन मिटावै। डोलत डिगै ना बोलत बिसरे अस उपदेश सुनावै।।...

बिना रे खेवैया नैया कैसे लागे पार हो।। केते निगुरा खड़े किनारे केते खड़े मँझधार हो।...

मुखड़ा क्या देखै दरपन में दया धरम नहीं मन में।। गहिरी नदिया नाव पुरानी उतरन चाहै...

मेरे सदगुरु दई बताय दलाली लालन की।। लाल पड़ा मैदान में कीच रहा लपटाय। निगुरेनिगुरे लख...

झीनी झीनी बीनी चदरिया।। काहे के ताना काहे के भरनी कौन तार से बीनी चदरिया।। इँगला...

का सोवो सुमिरन की बेरिया।। गुरु उपदेशन की सुधि नाहीं झकत फिरो झक झलनि झलरिया।। गुरु...

मुनिया पिंजड़े वाली ना तेरा सदगुरु है व्यापारी।। अलख डार पर मुनिया बैठी खाये ज्ञान की...

रहना है होशियार नगर में इक दिन चोरवा आवेगा।। तोप तीर तलवार न बरछी नाहीं बंदूक...

संतों सो उतरे भव पारा। मन की इच्छा सब ही त्यागे छाड़े विषय विकारा।। धीर गम्भीर...

मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया।। पांच तत्व की बनी चुनरिया सोरह सै बंद लागे...

पानी में मीन पियासी मोहि सुन सुन आवत हाँसी।। आतमज्ञान बिना नर भटके कोई मथुरा कोई...