आपनी आपनी ख्याल में मस्त हैं चार अरु असी का जीव सारा । १  करत आचार...

जैसे श्वान काँच मंदिर में भरमित भूसि मरयो ॥ १  ज्यों केहरि बपु निरखि कूप जल...

आपन काहे न सँवारे काजा । टेक  ना गुरु भगति साध की संगत करत अधम निर्लाजा...

आनंद मंगल गाव मोरु सजनी। भयो प्रभात बीत गइ रजनी ॥ १  नाटक चाटक बहु बिधि...

आन पड़ा चोरन के नगर सत्संग बिना जिय तरसे हो ॥ टेक   हरि सो हीरा...

आतस की आंच तो एक सी है मत पकड़ो कोई आयके जी ।  अपनी  बिरानी  नाहीं...

आतम खसम राड़ भई धनियाँ झूठ खसम मन भावत रे । टेक  सिष्य  झूठ गुरु  झूठ...

आठ हूँ पहर मतवाल लागी रहे  आठ हूँ पहर की छाक पीवै । १  आठ हूँ...

अस लोगन को बहि जाने दे । टेक  हंस हंस मिलि चलो सरोवर बकुलन मछली खाने...

अवसर बार बार नहिं आवै ।  जो चाहो करि लेव भलाई जन्म जन्म सुख पावै ।...

अवसर बहुत भलो रे भाई ।  मानुष तन  देवन को दुर्लभ सोई देह तैं  पाई ।...

अवधू मेरा मन मतिवारा ।  उनमनि चढ़ा मगन रस पीवै त्रिभुवन भया उजियारा ॥ टेक  गुड़...