मने चाकर राखो जी गिरधारी लाल चाकर राखो जी। चाकर रहसूं बाग लगासूं नित उठ दर्शन...

भज मन चरण कमल अविनाशी। जे ताई दीसे धरण गगन विच ते ताई सब उठ जासी।...

फागुन के दिन चार होरी खेल मना रे। बिन करताल पखावज बाजे अनहद की झंकार रे।...

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु कर किरपा अपनायो। जन्मजन्म...

पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे। मैं तो मेरे नारायण की हो गई आप ही दासी...

दरस बिन दूखन लागे नैन जब से तुम बिछुरे प्रभु मोरे कबहुं न पायो चैन। सबद...