नैना निपट बंकट छबि अटके। देखत रूप मदनमोहन को पियत पियूख न मटके। बारिज भवाँ अलक...

नहिं भावै थांरो देसड़लो जी रंगरूड़ो॥ थांरा देसा में राणा साध नहीं छै लोग बसे सब...

बरसे बदरिया सावन की सावन की मनभावन की। सावन में उमगयो मेरो मनवा भनक सुनी हरी...

जादूगर मार गयो री टोना ब्रज में देख्यो री छोना। ले मटकी सिर चली गुजरिया आगे...

मैं बैरागन हूँगी बाला जिन भेषयां म्हारो साहेब रीझे सोही भेष धरूँगी। संतोष धरूँ घट भीतर...

गली तो चारों बंद हुई हैं मैं हरि से मिलूं कैसे जाए। ऊंचीनीची राह कटीली पाँव...

रमइया मैं तो थारे रंगराती। औरों के पिया परदेस बसत हैं लिखलिख भेजें पाती। मेरे पिया...

म्हारौ जन्म मरण का साथी थाणे नहिं बिसरूं दिन राति। बिन देख्यां नहिं चैन परत है...

म्हारौ जन्म मरण का साथी थाणे नहिं बिसरूं दिन राति। बिन देख्यां नहिं चैन परत है...

मैंने लीन्हो री गोविन्द मोल। कोई कहे छाने कोई कहे चुपके लीयो री बजन्ता ढोल। कोई...

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई तात मात...

तेरो कोई नहीं रोकणहार मगन होई मीरा चली। लाज शर्म कुल की मर्यादा सिर से दूर...