बंसी का बज़ाना छोड़ दे रे नन्द महर के लाल ॥ टेक ॥ तेरी बंसरी रस...

देख़ो वृंदावन की कुंज में री नाचे नंदकुमार ॥ मोरमुकुट सिर ऊपर सोहे गल फूलन के...

भजले रामनाम सुखधाम तेरा पूरण हो सब काम ॥ काशी जावे मथुरा जावे तीरथ फिरे तमाम...

अब दया करो जगदीशजी सब विश्व रचाने वाले तुम मन में प्रथम बिचारा तब पांच तत्व...

अब तुम दया करो महादॆव जी कैलास बसाने वाले ॥ सब अंग बिभूति रमाई सिर ऊपर...

अब तुम दया करो श्रीराम जी रघुनाथ कहाने वाले ॥ बन जाय ताडका मारी खरदूखण फ़ौज...

अब तुम दया करो श्रीकृष्ण जी बृजराज कहाने वाले ॥ टेक ॥ तुम मात देवकी जाये...

चेत रे नर चेत प्यारे अब तो मन में चेत रे ॥ टेक ॥ क्यों भुलायो...

मान रे मन मान मूरख बात मेरी मान रे ॥ टेक ॥ जैसे बिजली बीच बादल...

जाग रे नर जाग प्यारे अब तो गाफिल जाग रे ॥ टेक ॥ स्वपन जैसी जान...

गाय रे नर गाय प्यारे अब तो हरिगुण गायरे ॥ टेक ॥ बालापण जोबन गया फिर...

जाग मुसाफर क्या सुख सोवे आखिर तझको जाना है रे ॥ टेक ॥ इस सराय में...