Surrender
शरण पडे कि लाज तुम राखो भगवाना ॥ टेक ॥ जप तप योग यज्ञ नहि कीने...
पिया मिलनके काज आज जोगन बन जावुंगी ॥ टेक ॥ हारसिंगार छोडकर सारे अंग बिभूत रमावुंगी...
दीनानाथ दयाल सुने मैं भक्तन के हितकारी ॥ टेक ॥ हिरणकशिप ने बांध भक्त को चाबुक...
देखो देखो री लंगर मेरो रोकत डगर । मेरी बंयरा पकर तलपट की गगर । मैं...
मेरी सुरत गगन में जाय रही एजी जाय रही अरु धाय रही ॥ टेक ॥ त्रिकुटी...
प्रभु तुम सब जग सर्जनहारे सकल शक्तिमय पिता हमारे ॥ टेक ॥ भूमि पर्वत नदियां सागर...
प्रभु कर सब दुःख दूऱ ह्मारे शरण पडे हम दास तुमारे ॥ टेक ॥ सकल जगत...
तुं तो उडता पंछी यार तेरा कौन करे इतबार ॥ टेक ॥ नौ खिडकी का पिंजरा...
अब तो छोड़ जगत की लाल सारे सुमरो सर्जनहार ॥ बालापण खेलन में खोयो जोबन मोह्यो...
मनुवा सोचसमझ कर देखले रे नश्वर सब संसार ॥ राजा जावे रानी जावे जावे सब परिवार...
मनुवा उलटी तेरी रीत कीनी परदेसी से प्रीत ॥ टेक ॥ क्षण भंगुर यह काया तेरी...
बंसी का बजाना री सखी मैं कैसे छॊड़ूं आज ॥ टेक ॥ इस बंसी में सब...