आरति करो मन आरति करो ।।।। गुरु प्रताप साधु की संगति आबा गमन तें छूटि पड़ो...

झिलमिल झिलमिल बरखै नूरा नूर जहूर सदा भरपूरा ।।।। रुनझुन रुनझुन अनहद बाजै भँवर गुँजार गगन...

हरि जन जीवता नहिं मुआ।। टेक।। पाँच तीन पचीस पायक बाँधि डारु कुआ ।।।। अष्ट दल...

निरगुन चुनरी निर्बान कोउ ओढै संत सुजान ।।।। षट दरसन में जाइ खोजो और बीच हैरान...

हौं तो खेलौं पिया सँग होरी ।।।। दरस परस पतिबरता पिय की छबि निरखत भइ बौरी...

ऐसा वर देही हरि। गायी नाम निरंतरी।। धृ ।। पुरवी आस माझी देवा। जेणे घडे तुझी...

अवघा रंग एक झाला। रंगी रंगला श्रीरंग।। धृ ।। मीतूपण गेले वाया। पाहता पंढरीच्या राया।। ।।...

कंकड़िया मार के जगाया श्याम चुपके से भवन में आया श्याम दिखने में भोला भाला नटखट...

जय शिवशंकर हे प्रलयंकर भवानी शंकर तुझे प्रणाम। विश्वेश्वर हे तुझे प्रणाम सर्वेश्वर हे तुझे प्रणाम।...

सदगुरु मोरे साँवल शाह प्यारे हैं। कैसे कहूँ वो तो दुनिया से न्यारे हैं।। वाणी ऐसी...

मैं वारी जाऊं सदगुरु की जिन लायी राम स्यों यारी। मन तो पापी भागता जाये क्षणभंगुर...

माझी ओ माझी रे कितनी दूर किनारा। दूर नगरिया जाना हुम ना रे हुम ना रे।...