मुझे लीजिये रे ईश्वर तेरी शरणा ॥ टेक ॥ जन्म जन्म को दास तुमारो दीनजानकर केर...

प्रभु सुनले बिनतिया हमारी रे ॥ टेक ॥ भवसागर में डूब रहा हुं लीजिये बेग उबारी...

प्रभु तेरे चरण कमल बलिहार ॥ टेक ॥ तुम पितुमात विश्व विधाता सब जावन हितकार ॥...

मैं तो प्रभु तुझ चरनन का दास ॥ टेक ॥ दीनदयाल दया के सागर सकल भुवन...

मेरे मना अब तो सुमर हरिनाम ॥ टेक ॥ चौरासी लख जीव जून में नहि पायो...

मेरेमना अब तो समझकर चाल ॥ टेक ॥ बाल्य गयो जोबन पुनि बीतो श्वेत भये सब...

मुसाफिर क्या सोवे अब जाग॥ टेक ॥ इन बिरछन की नहि छाया देख भुलाया बाग़ ॥...

भजन बिन भवजल कौन तरे ॥ टेक ॥ काम क्रोध मद ग्राह बसत है मार्ग में...

भजन बिन बिरथा जनम गयो ॥ टेक ॥ बालपणो सब खेल गमायो जोबन काम बह्यो ॥...

तुमे है हरिशरण पड़े की लाज ॥ टेक ॥ मैं गुणहीन मलिन सदामति कैसे बने अब...

सुहावे सखी मोहनकी मोहे बेन ॥ टेक ॥ जमुनातट पर बन कुंजन में शाम चरावे धेन...

मिलादो सखी शामसुंदर मोहे आज ॥ टेक ॥ रातदिवस मोहे चैन न आवे भूल गये सब...