बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल केशव माधव गोविन्द बोल। नाम प्रभु का है सुखकारी...

बैठु सत्संग में बात को बूझि ले बिना सत्संग न भरम जाहि। मरै सिर पटकि कै...

बैठी नार तू क्यों मन मार निकस तू बाहर होरी में। फागुन में ओ सुन मतवारी...

बनजारा बनजारा यह इश्क बनजारा देता है दुआ यह इश्क़ बनजारा। सौदा इसका बड़ा अनोखा देवे...

बादल बरसे जियरा तरसे दरस तेरे को मोहन चरण छूने को मोहन जियरा तरसे जियरा तरसे।...

बाबा काया नगर बसावो। ज्ञान दृष्टि सो घट में देखो सुरत बिरति लौ लावो। पाँच गार...

फर्श से ले कर अर्श तक जिसका जहाँ में नूर है। जिसके जलवे के लिए हर...

फागुन के दिन चार होरी खेल मना रे। बिन करताल पखावज बाजे अनहद की झंकार रे।...

प्रेम के मारे ऐसे तीर हिरदा चीर गये। छुपछुप कर मैं दर्शन करती दूर ही दूर...

पीवता नाम जो जुगन जुग जीवता नाहिं वो मरे जो नाम पीवे। काल व्यापे नहिं अमर...

पिला दे प्रेम का प्याला प्रभु दरशन की प्यासी हूँ। छोड़ के भोग दुनिया के योग...

पिया मिलन के काज आज जोगन बन जाऊँगी। हार श्रृंगार छोड़ के सारे अंग विभूति रमाऊँगी...