कोई जानेगा जाननहारा साधो हरि बिन जग अंधियारा। या घट भीतर सोना चांदी यही में लगा...

क्या जाणा मैं कोई रे बाबा। जो कोई अन्दर बोले चाले जात असाडी सोई। चिट्टी चादर...

ऐसी करी गुरुदेव कृपा मेरे मोह का बन्धन तोड़ दिया। मैं भटक रहा दिन रात सदा...

एक बूँद स्यों बुझ गयी जनमजनम की प्यास। प्रेम पंथ की पालकी रविदास बैठिया सांचे सांची...

ऊधो मुझे संत सदा अती प्यारे जा की महिमा वेद उचारे। मेरे कारण छोड़ जगत के...

इक अलफ़ पढ़ो छुटकारा ए।। इक अलफ़ों दो तिन चार होए फिर लख करोड़ हजार होए।...

अरज़ करां मैं प्यारया जीवन बगिया उजड़ी मेरी बहार बन आ प्यारया। कैसी विडंम्बना दाता मेरी...

अंधियारे दीपकु चहीऐ।। इक बसतु अगोचर लहीऐ।। बसतु अगोचर पाई।। घटि दीपकु रहिआ समाई। किआ पढ़ीऐ...

अब लगन लगी किह करिये न जी सकिये न मरिये। तुम सुनो हमारे बैना मोहे रात...

आज रंग है रंग है। बिरहन की आज प्यास बुझायी मोहे पिय ने सुहागन बनायी। आओ...

आये रे आये संत हमरे देस प्रेम का संदेश लाये। नाम का दीप मन में जलाया...

आसमान से ऊँचा तेरा दर है। कहाँकहाँ सर को झुकाऊँ हर दिल तेरा घर है।। कलीकली...