About the book
भारत में प्राचीन काल से ही कथा-कहानियाँ कहना हमारी परंपरा रही है। खासकर बच्चों को सद्गुण सिखाने, समझाने और अच्छे संस्कार देने के लिए कहानियाँ हमेशा बहुत ही असरदार माध्यम रही हैं। परिवार के बुजुर्ग या माता-पिता एवं शिक्षक महाभारत, रामायण, पंचतंत्र, हितोपदेश जैसे ग्रंथों से कहानियाँ सुनाकर बच्चों में संस्कारों का सिंचन करते रहे हैं। कई सदियों से चलती आ रही यह वाचिक परम्परा आधुनिक डिजिटल युग आते-आते क्षीण हो चली है। भारत ऋषियों, संतों, महात्माओं, साधुओं की भूमि है। सिद्ध होने से पूर्व ये महात्मा भी सामान्य बालक थे, पर उनके भीतर गहन जिज्ञासा, साधना, तपस्या थी। संसार और समाज द्वारा उनके सामने खड़े किये गये सारे अवरोधों से विचलित न होकर, वे अपने मार्ग पर लगातार चलते रहे। मनुष्य जीवन का एकमात्र लक्ष्य परमात्मा की खोज है और उन्होंने उस लक्ष्य को प्राप्त किया। उनके जीवन से हम प्रेरणा ले सकते हैं, सीख ले सकते हैं और जीवन के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए ये कथा-प्रसंग हमारे लिए मील के पत्थर बन सकते हैं। इन संतों-महात्माओं की कहानियाँ हमें यह विश्वास दिलाती हैं कि अगर योग, ज्ञान और भक्ति के मार्ग पर हम चलते रहे तो हम भी उन स्थितियों को प्राप्त कर सकते हैं, जिन्हें इन संतों-महात्माओं ने प्राप्त किया है। इस पुस्तक में ‘विष्णु पुराण’ में उल्लेखित भक्त ध्रुव से लेकर भक्त प्रहलाद, रामायण काल के वीर हनुमान और अभी कुछ ही सदी पूर्व महाराष्ट्र में हुए संत ज्ञानेश्वर से लेकर बनारस के संत कबीर, राजस्थान की भक्त मीराबाई और पंजाब के श्री गुरु नानक देव के जीवन से प्रेरणास्पद प्रसंग सम्मिलित हैं। ये सभी भक्त और संत भले ही देश के अलग-अलग स्थान और कालखण्डों में हुए हों, पर इन सब ने उसी सत्-चित्-आनंद स्वरूप परमात्मा का अपने ही भीतर दर्शन पाया। करुणामयी आनंदमूर्ति गुरुमाँ ने विशेष रूप से बच्चों में धर्म के संस्कारों का बीजारोपण करने के लिए, इस पुस्तक में भारत के कुछ महान संतों के जीवन के प्रसंगों को रोचक और रसप्रद कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत किया है। इन संतों के जीवन से प्रेरित होकर हमारी नई पीढ़ी भी धर्म-अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर हो, उनके भीतर चेतना की उन्नति हो और जीवन में उच्चतम शिखरों को प्राप्त करने की भावना जाग्रत हो, इसके लिए बच्चों को इन कहानियों से अवगत कराया जाना चाहिए। इस किताब को सुंदर और आकर्षक चित्रों से सुसज्जित किया गया है, ताकि बच्चों में भी पढ़ने की रुचि का निर्माण हो सके। इन कहानियों को बच्चों को सुनाइए और उन्हें स्वयं पढ़ने के लिए प्रेरित कीजिये।