प्रभु मेरे अंतर के पट खोल चाहे मेरी आँखें ले ले ज्ञान की आँखें खोल। बिकने...

हो जा खुशी से अपने भगवान के हवाले मर्जी पे छोड़ उसकी दाता जैसे भी वो...

राजी ओस दी रजा विच रहिये कुल्ली पावें कख दी रवे। ओदी मार वी प्यार नाल...

लग्गी लग जावे दिल नूं तेरी दुआ न कोई होर मंगदी। तेरे पैरां च अखीर होवे...

मैं तो आई फक्त तेरे दीदार को क्या खबर थी के आते ही लुट जाऊंगी। फूल...

भगवान तुम्हारे मंदिर में मैं तुझे रिझाने आई हूँ। वाणी में तनिक मिठास नहीं पर विनय...

तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना इसे मैं उठाने के काबिल नहीं हूँ। आ तो गयाहूँ...

तेरी सूरत जो मन में बसी है क्या करूँ जा के मंदिर शिवाले। ख़ाक हो गए...

तेरे फूलों से भी प्यार तेरे कांटों से भी प्यार। जो तू देना चाहे दे दे...

ना सजदा करते थे हम कभी काबे के सिवा। सिर खुद बखुद ही झुक गया कामल...

मेरा रुठे न जी मोहन प्यारा चाहे सारा जग रुठे। मैं तेरी हूँ तू है मेरा...

मैं द्वारे तेरे आई आ के झोली फैलायी तू दे दे दाता जो चाहे। चाह नहीं...