Drig-drishya Viveka 

Scriptures

Language: Hindi  

Drig-drishya Viveka 

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Language: Hindi  

About the book

‘दृग्-दृश्य विवेक’ अद्वैत वेदान्त का ऐसा अनुपम ग्रंथ है, जो जिज्ञासु के लिए आध्यात्मिक उत्कर्ष की ओर अग्रसर होने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह अंतःकरण के जन्म-जन्मांतरों के अज्ञान को दूर करने में अत्यंत सक्षम है। ‘दृग्-दृश्य विवेक’ ग्रंथ 46 श्लोकों का ऐसा मंजुल समावेश है, जिससे यह बोध स्पष्टता से होता है कि सब कुछ दृश्य मात्र है और मैं हूँँ द्रष्टास्वरूप। इस ब्रह्मविद्या की प्राप्ति एक बार हो जाए तो यत्र यत्र मनो याति तत्र तत्र समाधयः। कौन है वास्तविक द्रष्टा? क्या है द्रष्टा और दृश्य में भेद? विवेक किसे कहते हैं? जीव क्या है? जीवपना क्या है? समाधि क्या है? ‘मैं’ चेतनस्वरूप कैसे हूँ? यह ग्रंथ ऐसे सभी प्रश्नों के गूढ़ अर्थों का रहस्योद्घाटन करता है। परम पूज्य गुरुदेव आनन्दमूर्ति गुरुमाँ ऐसे श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु हैं जिन्होंने ‘दृग्-दृश्य विवेक’ जैसे उत्कृष्ट ग्रंथ में निहित विलक्षण सत्य को सर्वकल्याणार्थ बहुत तार्किक ढंग से प्रतिपादित किया है, जिससे शिष्य के लिए अद्वैत वेदान्त के ये आधारभूत सिद्धांत साक्षात् अनुभव में परिवर्तित हो सकें। आइए, अज्ञान और अंधकार के निवारण हेतु ब्रह्मविद्या की शरण में चलें!