About the book
‘केन उपनिषद्’ ऐसी वेदवाणी है, जो उत्तम साधक के अज्ञानावरण का मूल से छेदन कर देती है। सामवेद में निहित, चार खण्डों में विभाजित, संवाद शैली से सुसज्जित, प्रतीकात्मक ढंग से वर्णित, 34 सूत्रों से युक्त यह छोटी-सी उपनिषद् अद्वैत वेदान्त ज्ञान का अप्रतिम निरूपण करती है। उपनिषदों का गूढ़ एवं रहस्यपूर्ण ज्ञान श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गुरु द्वारा उद्घाटित होकर ही शिष्य के लिए आत्म-अनुभूति में परिवर्तित होता है। वैसे भी उपनिषद्, उप+नि+सद् का तो अर्थ ही है निश्चयपूर्वक गुरु के पास बैठना। परम पूज्या आनन्दमूर्ति गुरुमाँ ऐसे ज्ञाननिष्ठ गुरु हैं, जो ब्रह्मज्ञान द्वारा साधकों की हृदय-ग्रन्थि का भेदन कर सभी संशयों का निवारण करते हैं। पूज्या गुरुमाँ द्वारा ‘केन उपनिषद्’ पर दिए गए बोधगम्य व्याख्यान का संकलन पुस्तक के रूप में प्रस्तुत है, जो उस शब्दातीत, रूपातीत ब्रह्म का अपरोक्ष कराने में सर्वथा समर्थ है। आओ चलें, ज्ञान की इस आलौकिक यात्रा पर!