ऐसा ज्ञान हमारा साधो ऐसा ज्ञान हमारा रे ॥ टेक ॥
जड चेतन दो बस्तु जगत में चेतनमूल अधारा रे
चेतन से सब जग उपजत है नहि चेतन से न्यारा रे ॥ १
ईश्वर अंश जीव अविनाशी नहि कछु भेद विकारा रे
सिंधु बिंदु सूरज दीपक में एकहि बस्तु निहारा रे॥ २
पशपक्षी नर सब जीवन में पूर्ण ब्रम्ह अपारा रे
ऊंच नीच जग भेद मिटायो सब समान निर्धारा रे ॥ ३
त्याग ग्रहण कछु कर्तब नाहीं संशय सकल निबारा रे
ब्रम्हानंद रूप सब भासे यह संसार पसारा रे ॥ ४