वह पुरुषोत्तम मेरा यार नेह लगी टूटे नहीं तार। तीरथ जाऊँ ना बरत करूँ चरण कमल...

हमारे गुरु पूर्ण दातार। अभय दान दीनन को दीने कीने भवजल पार। जन्मजन्म के बंधन काटे...

सुमिरसुमिर नर उतरो पार भव सागर की तीक्षण धार। धर्म जहाज मांहि चढ़ लीजै संभलसंभल ताहि...

सुन सुरत रंगीली हो कि हरि सा यार करो। जब छूटै बिघन बिकार भौ जल तुरत...

बाबा काया नगर बसावो। ज्ञान दृष्टि सो घट में देखो सुरत बिरति लौ लावो। पाँच गार...

तुम साहब करतार हो हम बन्दे तेरे। रोमरोम गुनहगार हो बक्शो हरि मेरे। दसों द्वारे मैल...