सोई साध शिरोमणि गोविन्द गुण गाए। राम भजे विषया तजे आपा न जनाए। मिथ्या मूक बोले...

रे पंथी चलना आज की काल। समझ न देखे कहाँ सुख होवे रे मन राम सम्भाल।...

राम रस मीठा रे कोई पीवे संत सुजान। इहि रस मुनि लागै सबै ब्रह्मा विष्णु महेश...

मेरे मन रामराम कहो रे। राम नाम मोहे सहज सुहावे उनके चरण मन लीन रहो रे।...

नूर रहा भरपूर अमीरस पीजिये रस मौहै रस होई लाहा लीजिये। परगट तेज अनंत पार नहीं...

तू सांचा साहिब मेरा। करम करीम कृपाल निहारौ मैं जन बन्दा तेरा। तुम दीवान सबहिन की...

जाग रे मन सब रैन बिहाणी जाए जन्म अंजुली को पानी। घड़ीघड़ी घड़ियाल बजावै जो दिन...