कफन को बांधि के करै तब आसिकी आसिक जब होय तब नाहिं सोवै। चिंता बिना आग...
हमता ममता को दूर करे यही तो मूल जंजाल है जी चाह अचाह को छोड़ देवे...
सच साहिब मिलने को मेरा मन लीना बैराग है जी। मोह निशा में सोई गई चौंक...
बैठु सत्संग में बात को बूझि ले बिना सत्संग न भरम जाहि। मरै सिर पटकि कै...
पीआ रे राम रस पीआ रे। भरिभरि देवै सुरत कलाली दरिआ दरिआ पीना रे। पीवतपीवत आपा...
पीवता नाम जो जुगन जुग जीवता नाहिं वो मरे जो नाम पीवे। काल व्यापे नहिं अमर...
गगन में मगन है मगन में लगन है। लगन के बीच में प्रेम पागे। प्रेम में...