बरजी मैं काहूकी नाहिं रहूं। सुणो री सखी तुम चेतन होयकै मनकी बात कहूं॥ साध संगति...

छोड़ मत जाज्यो जी महाराज॥ मैं अबला बल नायं गुसाईं तुमही मेरे सिरताज। मैं गुणहीन गुण...

जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं॥ हरि छो जी हिरदा माहिं पट खोलो क्यूं नहीं...

आओ सहेल्हां रली करां है पर घर गवण निवारि॥ झूठा माणिक मोतिया री झूठी जगमग जोति।...

म्हारा ओलगिया घर आया जी। तन की ताप मिटी सुख पाया हिल मिल मंगल गाया जी॥...

म्हांरे घर होता जाज्यो राज। अबके जिन टाला दे जाओ सिर पर राखूं बिराज॥ म्हे तो...

जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम॥ आज आनंद उमंगि भयो है जीव लहै...

बड़े घर ताली लागी रे म्हारां मन री उणारथ भागी रे॥ छालरिये म्हारो चित नहीं रे...

या मोहन के रूप लुभानी। सुंदर बदन कमलदल लोचन बांकी चितवन मंद मुसकानी॥ जमना के नीरे...

स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो। या भवसागर मंझधार में थे ही निभावण हो॥ म्हाने औगण घणा...

तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी॥ भवसागर में बही जात हौं काढ़ो तो थारी मरजी। इण संसार...

थे तो पलक उघाड़ो दीनानाथ मैं हाजिरनाजिर कद की खड़ी॥ साजणियां दुसमण होय बैठ्या सबने लगूं...