चेतन चमक नियारी साधो चेतन चमक नियारी रे ॥ टेक ॥
हाड मांस की देह बनी है जामें लगी नवबारी रे
चेतन केवल बोलत चालत सुखदुख जाननहरी रे ॥ १
प्राण संग जब चेतन मिकल पडे जिमी पर भारी रे
बीच चिता के जाय जलावें भूल जाय सुधि सारी रे ॥ २
घटघट में चेतन का वासा देव दनुज नर नारी रे
पशुपक्षी बिरछन के मांही व्यापक है सुखकारी रे ॥ ३
इस चेतन को ईश्वर जानो परब्रम्ह अविनाशी रे
ब्रम्हानंद भेद सब छोडो एकरूप निरधारी रे ॥ ४