जय महेश जटाजूट कंठ सोहे कालकूट
जन्म मरण जाय छूट नाम लेत जांके ॥
तीन नयन चंद्र भाल गलमें मुंडन की माल
शोभत तन मिरगछाल कटि में नाग बांके ॥
गौरी बसत सदा संग भस्म लसत अंग अंग
शीश गंग के तरंग वाहन वृषभा के ॥
कर त्रिशूल अरु कुठार ब्रम्हानंद निर्विकार
जाकी महिमा अपार कहत वेद थाके ॥
Jay mahesh jataajut knth sohe kaalkut
Janm marn jaay chhut naam let jaanke ॥
Tin nayn chandr bhaal galmein mundn ki maal
Shobht tan mirgachhaal kti mein naaga baanke ॥
Gauri bast sdaa snga bhsm lst anga anga
Shish ganga ke taranga vaahn vrisbhaa ke ॥
Kar trishul aru kuthaar bramhaannd nirvikaar
Jaaki mahimaa apaar keht ved thaake ॥