कालगती बलवान साधो कालगती बलवान रे ॥ टेक ॥
बडे बडे पृथिवी के राजा प्रियब्रत सगर समान रे
सब ही मिले धरणि के मांही रहा न एक निशान रे ॥ १
अर्जुन भीमसेन से योधा जिनके अचरज बाण रे
सो भी काल किये वश अपने छूटा सब अभिमान रे ॥ २
योगी पीर पगम्बर भारे साधक सिद्ध सुजान रे
जीत सके नहि कालबलि को छोड गये सब प्राण रे ॥ ३
इस दुनियां में रहना नाहीं यह निश्चय कर जान रे
ब्रम्हानंद छोड सब चिंता सुमरो श्रीभगवान रे ॥ ४