सुन सखी अब वर्षा दिन आये ।
पूरब पवन चले निस बासर घुमट घुमट घन छाये ॥ टेक ॥
गर्जन सुनकर पपिया बोले मोरन शोर मचाई ॥
झिम झिम बूंद पडत आँगन में ग्रीषम ताप मिटाये ॥
सखियां मिलकर झूलत बन में गावत गीत सुहाये ॥
ब्रम्हानंद जगतपति ईश्वर जीवन सुख उपजाये ॥
सुन सखी अब वर्षा दिन आये ।
पूरब पवन चले निस बासर घुमट घुमट घन छाये ॥ टेक ॥
गर्जन सुनकर पपिया बोले मोरन शोर मचाई ॥
झिम झिम बूंद पडत आँगन में ग्रीषम ताप मिटाये ॥
सखियां मिलकर झूलत बन में गावत गीत सुहाये ॥
ब्रम्हानंद जगतपति ईश्वर जीवन सुख उपजाये ॥