तेरी शरण में आयके फिर आश किसकी कीजिये ॥ टेक ॥
नहि देख पडता है मुझे दुनिया में तेरी शान का
गंगाकिनारे बैठके किम कूपका जल पीजिये ॥ १ ॥
हरगिज नही लायक हुं मैं गरचे तेरे दरबार का
मेरी खता को माफकर दीदार अपना दीजिये ॥ २ ॥
पतितपावन नाम सुनके मैं शरण तेरी पडा
सफल कर इस नामको अपना मुझे कर लीजिये ॥ ३ ॥
मिलता है ब्रम्हानंद जिसके नाम लेनेसे सही
ऐसे प्रभुको छोडकर फिर कौन से हित कीजिये ॥ ४ ॥
Teree sharan mein aayake phir aash kisakee keejiye ॥ Tek ॥
Nahi dekh padataa hai mujhe duniyaa mein teree shaan kaa
Gangaakinaare baithake kim koopakaa jal peejiye ॥ 1 ॥
Haragij nahee laayak hun main garache tere darabaar kaa
Meree khataa ko maaphakar deedaar apanaa deejiye ॥ 2 ॥
Patitapaavan naam sunake main sharan teree padaa
Saphal kar is naamako apanaa mujhe kar leejiye ॥ 3 ॥
Milataa hai bramhanand jisake naam lenese sahee
Aise prabhuko chhoDakar phir kaun se hit keejiye ॥ 4 ॥